टीम एस. के. एम.
होमलैंड अधिसूचना
26 अगस्त 2025 को अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की, जिसमें यह पुष्टि की गई कि भारतीय मूल के सामानों पर 50% आयात शुल्क लगाया जाएगा। यह आदेश 27 अगस्त 2025, सुबह 12:01 (EDT) से लागू हो गया।
यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल की लगातार खरीद पर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता जताई थी।
टैरिफ वृद्धि के नुकसान
- लागत प्रतिस्पर्धात्मकता का नुकसान
अमेरिकी बाज़ार में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता उन देशों के मुकाबले घट जाएगी जिन पर कम टैरिफ लगते हैं। - भारतीय निर्यात पर असर
अमेरिका को भारत का निर्यात FY 2024–25 में $86.51 अरब डॉलर था। अनुमान है कि FY - 2025–26 में यह घटकर $49.6 अरब डॉलर रह जाएगा, यानी लगभग 43% की गिरावट।
- प्रमुख निर्यात वस्तुएँ एवं प्रतिस्पर्धी देश
वस्तु | प्रतिस्पर्धी देश | भारतीय सामान पर अमेरिकी टैरिफ | प्रतिस्पर्धी देशों पर टैरिफ |
वस्त्र एवं परिधान | बांग्लादेश, वियतनाम | 61% (जिसमें 50% ऐड वेलोरम शामिल) | ~31% |
रत्न एवं आभूषण | श्रीलंका, कंबोडिया | 52.1% | ~2–5% |
झींगा एवं समुद्री खाद्य | इक्वाडोर, थाईलैंड | 60% | ~15% (इक्वाडोर) |
रसायन | जापान, दक्षिण कोरिया | 50% | कम रियायती दरें |
ऑटो पार्ट्स | मेक्सिको, चीन | 25–50% | व्यापार समझौतों के तहत कम दरें |
क्वार्ट्ज स्लैब्स | चीन, तुर्की, वियतनाम | 50% | ~5–15% (चीन पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी) |
- आर्थिक झटका
ये क्षेत्र श्रम-प्रधान हैं। इस टैरिफ झटके से लाखों नौकरियाँ खतरे में हैं, खासकर तिरुप्पुर (वस्त्र) और सूरत (हीरे) जैसे औद्योगिक क्लस्टरों में। - विशिष्ट भारतीय उत्पाद
हस्तशिल्प, हैंडलूम, जेनेरिक दवाइयाँ और पारंपरिक वस्त्र जैसी वस्तुओं की मांग बनी रह सकती है, लेकिन वे भी अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महँगी हो जाएँगी। - अमेरिका में घरेलू असंतोष
भारतीय सामान महँगा होने से अमेरिकी उपभोक्ता और व्यवसाय असंतुष्ट हो सकते हैं, जिससे ट्रंप प्रशासन की लोकप्रियता प्रभावित हो सकती है।
फायदे एवं रणनीतिक अवसर
- बाज़ार विविधीकरण
भारतीय निर्यातकों को लैटिन अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया जैसे नए बाज़ारों की तलाश करनी होगी, जिससे अमेरिका पर अधिक निर्भरता घटेगी। - लागत अनुकूलन
निर्माता अपनी उत्पादन लागत कम करने और संचालन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे, ताकि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहें। - नीतिगत सहयोग
भारत सरकार विशेष प्रोत्साहन, क्रेडिट लाइन और निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू कर सकती है ताकि झटका कम हो। - नवाचार एवं तकनीक
कंपनियाँ अनुसंधान एवं विकास (R&D) और नई तकनीकों में निवेश कर सकती हैं, ताकि विशिष्ट और नवीन उत्पाद बना सकें। - वैश्विक विस्तार
भारतीय कंपनियाँ यूएई, मेक्सिको जैसे देशों में सहायक कंपनियाँ खोल सकती हैं ताकि अमेरिकी बाज़ार में बिना टैरिफ बाधा के कारोबार जारी रख सकें। - प्रतिशोधात्मक कदम
भारत अमेरिका की कंपनियों पर जवाबी टैरिफ या नीतिगत बदलाव लागू करने पर विचार कर सकता है।