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GST 2.0: खपत से लेकर निर्यात तक, नए सुधार जीडीपी ग्रोथ के लिए कितने फायदेमंद?

Sep 2, 2025 | Updates | 0 comments

टीम एस. के. एम

जीएसटी 2.0 बनाम वर्तमान व्यवस्था: अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

क्षेत्र/कारकजीएसटी 2.0 से पहले (वर्तमान व्यवस्था)जीएसटी 2.0 के बाद (प्रस्तावित सुधार)जीडीपी ग्रोथ पर असर
खपत (Consumption)कई चीज़ें महँगी → मांग दबाव मेंटैक्स स्लैब घटने से FMCG व रोज़मर्रा की चीज़ें सस्तीमांग बढ़ेगी → जीडीपी ↑
विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing)उत्पादन लागत ज़्यादा, जटिल नियमकच्चे माल व मशीनरी पर कम जीएसटीउत्पादन ↑, निर्यात प्रतिस्पर्धी
कृषि व ग्रामीण मांगखाद, उपकरणों पर मध्यम करआवश्यक वस्तुएँ सस्ती → ग्रामीण मांग में बढ़ोतरीग्रामीण आय ↑ → जीडीपी स्थिर
सेवा क्षेत्र (Services)हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर व बीमा पर ऊँचे टैक्सकम जीएसटी दरें → सेवाएँ, हेल्थ व बीमा और किफायतीसेवा खपत ↑, बीमा penetration ↑
सरकारी राजस्वस्थिर लेकिन मल्टी-स्लैब जटिलताअल्पकाल में राजस्व हानि संभवराजकोषीय घाटे का खतरा
निर्यात व व्यापारभारतीय सामान महँगे → प्रतिस्पर्धा कमकम जीएसटी → लागत घटेगी → निर्यात में बढ़तव्यापार घाटा ↓
महँगाई (Inflation)कई क्षेत्रों में उच्च जीएसटी → महँगाई का दबावकम जीएसटी → महँगाई पर नियंत्रणस्थिर वृद्धि का माहौल
निजी निवेश (Private Investment)अनुपालन का बोझ ज़्यादा → निवेशक सतर्कआसान जीएसटी → कारोबार करना आसानदीर्घकालीन निवेश में बढ़ोतरी

सारांश:

  • लघु अवधि (Short Term): खपत और ग्रामीण मांग से जीडीपी ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।
  • मध्यम अवधि (Medium Term): विनिर्माण और निर्यात प्रतिस्पर्धी होंगे → ग्रोथ स्थिर रह सकती है।
  • दीर्घ अवधि (Long Term): सरकार को राजस्व हानि को संभालना होगा, वरना राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी पर दबाव डाल सकता है।